किताबें: मेरी सच्ची दोस्त
जैसे -जैसे ज़माना बदल रहा है लोग भी बदल रहे हैं लोगों के अन्दर से दूसरों के लिए प्रेम तथा स्नेह की भावना लगभग समाप्त होती नजर आ रही है। कुछ लोग जो कभी अपनी जान से भी ज्यादा प्यारे थे उन्होंने इस बदलते दौर की चपेट में आकर साथ छोड़ दिया। यह मेरा खुद का अनुभव है, मैंने मां- बाप के अलावा हर रिश्ते में मिलावट देखी है। ऐसे में जरूरत है एक सच्चे दोस्त की जिसमें सुख -दुख बांटने की क्षमता हो। तो आइए अब बात करते हैं कि इस बदलते दौर में हम अपने लिए एक सच्चे दोस्त की तलाश कैसे करें? इसके लिए हमें कहीं और जाने की जरूरत नहीं है बल्कि उसी स्टडी टेबल की ओर नजर दौड़ानी है जहां पर बुजुर्गों ने नौकरी पाने के बाद कभी झांका भी नहीं और मेरे हमउम्र साथियों ने ...So Called Distraction( जो आजकल नव जवानों में काफी जोर पर है) की वजह से कभी ध्यान नहीं दिया। इस बदलते वक्त में जहां सच्चे दोस्तों का अकाल है, वहीं मैंने पाया है अपनी एक सच्ची दोस्त, जोकि मेरी गुरु तथा मित्र दोनों हैं, वह हैं किताबें। किता...