गुणों के मोती चुगकर भारतवर्ष को विश्व गुरु बनाने का पहला कदम

एक एक भिंडी को प्यार से धोते पोंछते हुये 
वह काट रही थी
छोटे-छोटे टुकड़ों में ,
फिर अचानक
एक भिंडी के ऊपरी हिस्से में छेद दिख गया मैंने सोचा शायद भिंडी खराब हो गई ....
वह फेंक देगी शायद
लेकिन , यह क्या
उसने ऊपर से थोड़ा काटा
कटे हुये हिस्से को फेंक दिया
फिर ध्यान से बची भिंडी को देखा
शायद कुछ और हिस्सा खराब था
उसने थोड़ा और काटा और फेंक दिया
फिर तसल्ली की ,
बाक़ी भिंडी ठीक है कि नहीं ,
तसल्ली होने पर
काट के , सब्ज़ी बनाने के लिये रखी भिंडी में मिला दिया !
मैं मन ही मन बोला ,
वाह क्या बात है !!
पच्चीस पैसे की भिंडी को भी हम 
कितने ख्याल से ,ध्यान से सुधारते हैं ,
प्यार से काटते है 
जितना हिस्सा सड़ा है , उतना ही काट के अलग करते है , 
बाक़ी अच्छे हिस्से को स्वीकार कर लेते हैं , 
क़ाबिले तारीफ है !
लेकिन , 
अफसोस !!
इंसानों के लिये कठोर हो जाते हैं
एक ग़लती दिखी नहीं 
कि ,उसके पूरे व्यक्तित्व को काट के फेंक देते हैं

ऐसा क्यों, सोचिये विचारणीय प्रश्न है?
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हम सब स्वतः भी पूर्ण नही है, बहुत से विकार है जिसपे काम करना है या कर रहे है, लेकिन फिर भी समाज ने, रिश्तो ने हमे स्वीकार किया है😊 
फिर हम क्यों किसी की कमी देखकर उसे अस्वीकार करें🤔

🌸 कोशिश करें और देखने का नज़रिया बदले तो हर किसी मे हमे कम से कम एक अच्छाई अवश्य मिल जाएगी और उसी पे ह्रदय केंद्रित करें तो कुछ सीखेंगे भी और स्वीकार्यता समय के साथ स्वयं ही आ जाएगी😇

अतः सबसे पहले मैं यही कहना चाहूंगा क्या हम अपने अंदर पल रहे देश सेवा की भावना को जानकर उनको बढ़ावा दे सकते हैं ?
क्या हम अपने चिर परिचितों के देश हित की बातों को उन्हें बताकर देश सेवा की ओर अपना पहला कदम उठा सकते हैं ?
यह 21 वीं सदी का सबसे बड़ी आवश्यकता है।

और क्या हम अपने देश को विश्व गुरु बनने का कारण बन सकते हैं ?

जय हिन्द।

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