✍️दादी - नानी के नुस्खे
फिटकरी
100 ग्राम फिटकरी तवे पर रखिये। पिघल जाए तो उसे ठंडा कर लीजिए। उसे तवे से उतार कर कूट कर डिब्बी में डालकर रख लें। यह आपकी रामबाण दवाई है जो फेंफड़े सीज हों, दमा हो या दिल कमजोर हो, बलगम हो उसे दी जा सकती है।
किसी के दांत में दर्द हो तो इससे कुल्ला करो
किसी घाव पर लगाओ
इसे बाल्टी में डालकर उस पानी से नहाओ
सब्जियां धो लो आदि
यह एकमात्र ऐसा सेनिटाइजर है जिसका सेवन किया जा सकता है।
एक चुटकी फिटकरी का भुना हुआ पाउडर लें। 1चम्मच शहद लें, पांच बूंद अदरक के रस की डालें और पीड़ित को चटा दें। एक dose सुबह एक dose शाम। कुल दो दिन में चार dose.
फेफड़े की तमाम दिक्कतों में रामबाण दवाई है यह ।
इस दवाई ने डेथ बेड से रोगी को उठाया जब उनके फेफड़े न्यूमोनिया और बलगम से सीज हो गए थे और डाक्टर ने जवाब दे दिया था ।
आप समझ गए न यह किस बीमारी की दवाई है 😊🙏🏻
आंवला
1 डायबिटीज के मरीजों के लिए आंवला बहुत काम की चीज है। पीड़ित व्यक्ति अगर आंवले के रस का प्रतिदिन शहद के साथ सेवन करे तो बीमारी से राहत मिलती है।
2 एसिडिटी की समस्या होने पर आंवला बेहद फायदेमंद होता है। आंवला का पाउडर, चीनी के साथ मिलाकर खाने या पानी में डालकर पीने से एसिडिटी से राहत मिलती है। इसके अलावा आंवले का जूस पीने से पेट की सारी समस्याओं से निजात मिलती है।
3 पथरी की समस्या में भी आंवला कारगर उपाय साबित होता है। पथरी होने पर 40 दिन तक आंवले को सुखाकर उसका पाउडर बना लें, और उस पाउडर को प्रतिदिन मूली के रस में मिलाकर खाएं। इस प्रयोग से कुछ ही दिनों में पथरी गल जाएगी।
4 रक्त में हीमोग्लोबिन की कमी होने पर, प्रतिदिन आंवले के रस का सेवन करना काफी लाभप्रद होता है। यह शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण में सहायक होता है, और खून की कमी नहीं होने देता।
5 आंखों के लिए आंवला अमृत समान है, यह आंखों की रौशनी को बढ़ाने में सहायक होता है। इसके लिए रोजाना एक चम्मच आंवला के पाउडर को शहद के साथ लेने से लाभ मिलता है और मोतियाबिंद की समस्या भी खत्म हो जाती है।
6 बुखार से छुटकारा पाने के लिए आंवले के रस में छौंक लगाकर इसका सेवन करना चाहिए, इसके अलावा दांतों में दर्द और कैविटी होने पर आंवले के रस में थोड़ा सा कपूर मिला कर मसूड़ों पर लगाने से आराम मिलता है।
7 शरीर में गर्मी बढ़ जाने पर आंवल सबसे बेहतर उपाय है। आंवले के रस का सेवन या आंवले को किसी भी रूप में खाने पर यह ठंडक प्रदान करता है। हिचकी तथा उल्टी होने की पर आंवले के रस को मिश्री के साथ दिन में दो-तीन बार सेवन करने से काफी राहत मिलेगी।
मूंग दाल
1. ज्वर (बुखार): मूंग को छिलके समेत खाना चाहिए। ज्वर (बुखार) होने पर मूंग की दाल में सूखे आंवले को डालकर पकाएं। इसे रोजाना दिन मे 2 बार खाने से ज्वर ठीक होगा और दस्त साफ आएगा।
2. कब्ज: चावल और मूंग की खिचड़ी खाने से कब्ज दूर होता है। मूंग की दाल और चावल की खिचड़ी बनाएं। फिर इसमें नमक मिलाकर और घी डालकर खायें। इससे कब्ज दूर होकर दस्त साफ आता है।
3. पसीने के अधिक आने पर: मूंग को सेंककर पीस लें। फिर इसमें पानी डालकर अच्छी तरह से मिलाकर लेप की तरह शरीर पर मालिश करें। इससे पसीना ज्यादा आना बन्द हो जाता है।
4. आग से जलने पर: मूंग को पानी के साथ पीसकर शरीर के जले हुए भाग पर लगाने से आराम आता है।
5. शक्ति वर्धक (शक्ति बढ़ाने वाला) : मूंग के लड्डू खाने से शक्ति बढ़ती है। मूंग को सेंककर आटा बनाएं। आटे के बराबर घी लेकर, कड़ाही में धीमी आंख पर रखें और कलछी से हिलाते जाए। जब आटा कुछ लालिमा पकड़ लें तब, बीच-बीच में उसके ऊपर दूध छिड़कते जाएं। ऐसा करते-करते जब दाने पड़ जाएं तब कड़ाही को चूल्हे से नीचे उतारकर उसमें शर्करा, बादाम, पिश्ते, इलायजी, लौंग और कालीमिर्च का चूर्ण डालकर लड्डू बना लें। मूंग के ये लड्डू शीतल, वीर्यवर्धक और वातशामक है।
6. आंत्रिक ज्वर (टायफाइड): रोगी को मूंग की दाल बनाकर देने से आराम आता है। लेकिन दाल के साथ घी और मसालों का प्रयोग बिल्कुल भी न करें।
7. पेशाब का बार-बार आना: रात को लोहे के बर्तन में पानी डालकर उसमें 50 ग्राम मसूर की दाल भिगो दें। रोजाना सुबह के समय इस दाल का पानी घूंट-घूंट करके पीने से पेशाब का बार-बार आना कम हो जाता है।
8. बुखार: बनमूंग के पंचांग (पत्ती, तना, फल, फूल और जड़) का काढ़ा 40 मिलीलीटर रोजाना 2 से 3 बार लेने से बुखार उतर जाता है।
9. आंखों का फूला: मूंग की दाल (धुली हुई और छिलका उतारी हुई) और शंख नाभि के बराबर बारीक चूर्ण को शहद के साथ मिलाकर आंखों में काजल की तरह लगाने से आंखों का फूला दूर होता है।
10. पित्त ज्वर: मूंग और मुलहठी का जूस बनाकर पीने से पित्त बुखार ठीक हो जाता है।
11. स्तनों के दूध के विकार: मूंग का सूप सुबह-शाम 14 से 28 मिलीलीटर की मात्रा में सेवन करने स्तनों के दूध के रोग नष्ट हो जाते हैं।
12. कण्ठमाला: मूंग, जौ और परवल आदि रोगी को खिलाने से कण्ठमाला (गले की गांठों) में आराम आता है।
13. दाद: मूंग की दाल को छिलके के साथ इतने पानी में डालकर भिगो लें कि दाल उस पानी को सोख लें। 2 घंटे के भीगने के बाद दाल को पीसकर दाद और खुजली पर लगाने से आराम आता है।
14. शारीरिक सौन्दर्यता: नहाने से पहले त्वचा पर निखार लाने के लिए मूंग की दाल को भिगोकर पीस लें। फिर उसमें सन्तरे के सूखे छिलकों को पीसकर मिला लें। इसके बाद इसके अन्दर थोड़ी सी मलाई भी मिला दें यह उबटन (लेप) तैयार हो जायेगा। इस उबटन (लेप) को लगाकर नहाने से त्वचा चमक उठेगी।
स्वस्थ्य रहें खुश रहें
Comments
Post a Comment
Thank you for giving your valuable time to read this post. Your opinion regarding this post is always appreciable