छुहारा के गुण और उससे होने वाले आयुर्वेदिक इलाज
परिचय (Introduction) छुहारा का लैटिन नाम फीनिक्स डेक्टाइलीफेरा है। यह प्रसिद्ध मेवाओं में से एक है। छुहारे एक बार में चार से अधिक नहीं खाने चाहिए, वरना इससे गर्मी होती हैं। दूध में भिगकर छुहारा खाने से इसके पौष्टिक गुण बढ़ जाते हैं। छुहारा स्याही लिए हुए लाल रंग का होता है। यह मीठा होता है। सका पेड़ खजूर के पेड़ के समान होता है। छुहारे शीतल, रूखे और गर्म प्रकृति के होते है। गुण (Property) : छुहारा रुचिकारक, हृदय के लिए लाभकारी, तृप्तकारी, पुष्टकारक, वीर्य-बलवर्द्धक, क्षय (टी.बी.), रक्तपित्त, वातज्वर, अभिघात वमन, वात और कफरोगों को दूर करता है। यह खून को शुद्ध करता है तथा शरीर को मोटा करता है। हानिकारक प्रभाव (Harmful effects) इसका अधिक मात्रा में सेवन मलस्तंभकारक होता है। विभिन्न रोगों में उपचार (Treatment of various diseases) शीघ्रपतन: 2 छुहारे रोजाना खाने से शीघ्रपतन के रोग में लाभ मिलता है और जिन लोगों का वीर्य पतला निकलता है वह गाढ़ा हो जाता है। बिस्तर में पेशाब होना: यदि बच्चे बिस्तर में पेशाब करते हो तो रोजाना रात को सोते समय 2 छुहारे खिलाने से लाभ होता है। 250 मिलीलीटर दूध में 1 छ...