कश्मीरी झमेले में रुचि रखनेवालों...ध्यान से पढ़ें

बेशक पोस्ट थोड़ी बड़ी जरूर है....!! लेकिन ऐतिहासिक भूलसुधार के लिए अवसर हैं.. कश्मीरी झमेले में रुचि रखनेवालों... ध्यान से पढों, समझो.. 

बात में दम तो है... भाजपा/कांग्रेस/सपा/बसपा/त्रणमुल/वाम से उपर उठकर सिर्फ भारतीय बनकर पढ़ें... और समझें......


अभी भारतवर्ष के गृहमंत्री अमित शाह ने अपने मंत्रालय में ताबड़तोड़ मीटिंग्स किये और जम्मू कश्मीर में परिसीमन करने एवं परिसीमन आयोग बनाने की बात कही.                Read Books

परिसीमन का मतलब होता है कि.... आबादी के और क्षेत्रफल के  हिसाब से किसी भी लोकसभा अथवा विधानसभा क्षेत्र का पुनर्गठन करना.

असल में.... कश्मीर विधानसभा में कुल 111 सीटें हैं... लेकिन, इनमें से 24 सीटों को जम्मू-कश्मीर के संविधान के सेक्शन 47 के मुताबिक पाक अधिकृत कश्मीर के लिए खाली छोड़ा गया है... और, बाकी बची 87 सीटों पर ही चुनाव होता है.

राज्य में आखिरी परिसीमन 1995 में किया गया था... और , गवर्नर जगमोहन के आदेश पर जम्मू-कश्मीर में 87 सीटों का गठन किया गया था.


अब चूंकि.... जम्मू-कश्मीर विधानसभा में कुल सीटों की संख्या 87 है, सरकार बनाने के लिए किसी भी दल को 44 सीटों का बहुमत चाहिए.



झमेला यहीं पर है..... ध्यान से पढ़िए..


हालांकि.... क्षेत्रफल की दृष्टि से जम्मू-कश्मीर विधानसभा में कश्मीर संभाग का क्षेत्रफल राज्य के क्षेत्रफल का मात्र 15.73% है... लेकिन, यहां से कुल 46 विधायक चुने जाते हैं.


जबकि, राज्य का 25.93 फीसदी क्षेत्रफल जम्मू संभाग के अंतर्गत आता है... लेकिन, विधानसभा की मात्र 37 सीटें ही यहां से चुनी जाती है.


इसके अलावा राज्य के 58.33% क्षेत्रफल वाले लद्दाख संभाग में 4 विधानसभा सीटें हैं.


इसी गिनती में बहुत बड़ा झोल है क्योंकि....


इसमें .... कश्मीर घाटी जो कि मुस्लिम बहुल क्षेत्र है में मात्र 25,000 लोगों पर ही एक विधानसभा क्षेत्र है....                 Amazon 80% offer market


जबकि, जम्मू क्षेत्र जो कि हिन्दू बहुल क्षेत्र है में लगभग 2,00,000 लोगों पर एक विधानसभा क्षेत्र है.


इसीलिए.... जम्मू कश्मीर के चुनाव में हमेशा कश्मीर घाटी से ही ज्यादा सदस्य चुने जाते हैं ... जो कि ज्यादातर आतंकवाद समर्थक होते हैं.... क्योंकि, घाटी में अधिकतर आबादी ""उन्हीं"" की है.

ये क्या❓ इसीलिए.... जम्मू क्षेत्र से काफी लंबे समय से ये मांग उठती रही है कि... जम्मू-कश्मीर का परिसीमन किया जाए .... ताकि, सभी को आबादी और क्षेत्रफल के हिसाब से बराबर का प्रतिनिधित्व मिले...!

और.... नियम के अनुसार ये परिसीमन 1995 के दस साल बाद अर्थात 2005 में हो जाना चाहिए था .... लेकिन, साजिशन अब्दुल्ला सरकार ने 2002 में इसके परिसीमन पर 2026 तक रोक लगा दी.


क्योंकि, अगर परिसीमन हुआ तो जम्मू क्षेत्र को अधिक विधानसभा सीट मिल जाएगी और फिर कश्मीर में गैर मुस्लिम मुख्यमंत्री भी बन सकता है.


हालांकि, जम्मू-कश्मीर के परिसीमन के लिए वहां की विधानसभा की अनुमति चाहिए लेकिन.... चूंकि, अभी वहाँ विधान सभा निरस्त है और राष्ट्रपति शासन लगा हुआ है इसीलिए, अभी वहाँ परिसीमन के लिए राज्यपाल की अनुमति ही पर्याप्त है. Amazon


परिसीमन के बाद जम्मू क्षेत्र से विधानसभा की सीटें यदि बढ़ती है और कश्मीर क्षेत्र की सीटें कम होती है.... तो सरकार चलाने के लिए भाजपा को बहुमत प्राप्त हो सकता है... और, जम्मू कश्मीर में हिन्दू मुख्यमंत्री बन सकता है!


और.... इधर केंद्र में..... 2020-21 तक मोदी सरकार को राज्यसभा में बहुमत प्राप्त हो जाएगा...!



मतलब कि... संसद के दोनों सदनों में बहुमत.और भाजपा,इस बहुमत का उपयोग इतिहास की भूल सुधारने में अहम भूमिका निभाएंगी. 

फिर कह रहे हैं.. पार्टीहित की राजनीति से उपर...देशहित के नजरिए से सोचें... समझें..

तो.... परिसीमन के बाद जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव में यदि भाजपा बहुमत प्राप्त कर लेती है तो धारा 370 का समाप्त होना शत प्रतिशत निश्चित है...


क्योंकि, उस स्थिति में जम्मू कश्मीर के Best Deal विधानसभा से धारा 370 को हटाने की अनुशंसा की जाएगी जिसे यहाँ संसद से पास कर दिया जाएगा...!


इसीलिए.... जम्मू-कश्मीर के परिसीमन का फैसला बेहद दूरदर्शिता वाला फैसला है और इसके बेहद दूरगामी परिणाम होंगे...


शॉर्टकट में... ये कहा जा सकता है कि.... ये फैसला धारा 370 को समाप्त करने की एक बहुत अहम कड़ी है...


और.... ये फैसला धारा 370 के ताबूत में अंतिम कील साबित होगी...

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