गोपीनाथ पांडुरंग मुंडे जी

गोपीनाथ पांडुरंग मुंडे 


 गोपीनाथ पांडुरंग मुंडे एक भारतीय राजनेता और महाराष्ट्र के पूर्व उपमुख्यमंत्री थे। 1995 में हुये विधानसभा के चुनावों में उन्होंने सफलता पाई और महाराष्ट्र राज्य के उपमुख्यमंत्री बने। उन्होंने अपनी पहचान ज़मीन से जुड़े एक कार्यकर्ता के तौर पर बनाई और वे एक राजनेता के साथ-साथ एक कृषक भी थे।

 मई-2014 में वह नरेन्द्र मोदी मंत्रिमंडल में शामिल हुए थे, लेकिन उस के कुछ दिनों बाद ही 3 जून 2014 को दिल्ली में एक कार दुर्घटना में उनका देहान्त हुआ था।      Read politics

गोपीनाथ मुंडे महाराष्ट्र राज्य में भारतीय जनता पार्टी के चेहरा थे। लोकसभा में विपक्ष के उपनेता गोपीनाथ मुंडे महाराष्ट्र भारतीय जनता पार्टी के सबसे चमकदार चेहरे थे। मुंडे को महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी की ओर से एकमात्र भीड़ जुटाने वाले नेता के तौर पर जाना जाता था। महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी को खड़ा करने वालों में उनका नाम लिया जाता था। गोपीनाथ मुंडे महाराष्ट्र के कद्दावर ओबीसी नेता थे। गोपीनाथ मुंडे पिछड़े वर्गों में अच्छा प्रभाव रखने वाले महत्पूर्ण ओबीसी नेता थे।

 महाराष्ट्र प्रदेश में उन्हें भारतीय जनता पार्टी का अकेला जननेता माना जाता था। वे महाराष्ट्र भारतीय जनता पार्टी में अपना अलग महत्व रखते थे।
 महाराष्ट्र में एकमात्र जमीनी नेता मुंडे को नाराज करने से वहां भारतीय जनता पार्टी को भारी क्षति पहुंची। महाराष्ट्र में उनके वर्चस्व के सामने कोई चुनौती खड़ी नहीं थी। मायनस मुंडे महाराष्ट्र भारतीय जनता पार्टी की स्थिति बिना नमक समुद्र जैसी होने की आशंका थी। 


वे 40 साल से भारतीय जनता पार्टी से जुड़े। 37 साल से चुनकर आये। गोपीनाथ मुंडे के शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे से, शिवसेना से गठबंधन के संबंध 22 साल पुराने थे।

जीवन परिचय - गोपीनाथ पांडुरंग मुंडे का जन्म 12 दिसम्बर 1949 में नाथ्रा, परळी, बीड, महाराष्ट्र में एक कृषक परिवार पांडुरंग मुंडे के घर हुआ था। उनकी माँ का नाम लिंबाबाई मुंडे था। इनके अलावा पांडुरंग मुंडे को दो पुत्र थे। गोपीनाथ मुंडे की प्राथमिक शिक्षा जिल्हापरिषद नाथ्रा में ही सम्पन्न हुई। इसके बाद उन्होंने आंबेजोगाई के योगेश्‍वरी शिक्षण संस्था स्वामी रामानंद तीर्थ महाविद्यालय में अध्ययन किया। उन्होंने वाणिज्य उपाधि प्राप्त की। इनका विवाह 21 मई 1978 में प्रज्ञा महाजन के साथ सम्पन्न हो गया था। इनके परिवार में तीन पुत्रियां पंकजा पालवे, डॉक्टर प्रीतम मते और यशश्री मुंडे सम्मिलित हुए। गोपीनाथ मुंडे भारतीय जनता पार्टी के दिवंगत नेता प्रमोद महाजन के बहनोई थे विधायक धनंजय मुंडे भाजपा सांसद गोपीनाथ मुंडे के भतीजे है। राजनेता पंडित अण्णा मुंडे भाजपा सांसद गोपीनाथ मुंडे के बड़े भाई है। गोपीनाथराव जब 11 वीं में थे तब से राजनेता पंडित अण्णा मुंडे ने ही उन्हें पाला है।



भारतीय जनता पार्टी नेता गोपीनाथ मुंडे ने उन दिनों को याद किया, जब वे सुपरस्टार राजेश खन्ना की हर पिक्चर देखा करते थे। मुंडे ने बताया कि अपनी युवा अवस्था में उनकी हर फिल्म पहले दिन पहले शो में देखी है।

स्नातक की शिक्षा समाप्त करने के पश्चात वो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ गये और देशसेवा का व्रत लेते हुये यहीं से अपने राजनैतिक जीवन की शुरुआत की। मुंडेजी संघवादी थे जो सारा जीवन सादगी से रहे और गरीबों की सेवा में अपनी पूरी जिंदगी को समर्पित किया। उन्होंने अपना जीवन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक के रूप में ब्यतीत करने का संकल्प लेकर प्रारम्भ किया था। 

 मुंडे महाराष्ट्र की विधानसभा में 1980 से 2009 तक विधायक रहे। इस दौरान उन्होंने महाराष्ट्र राज्य के उपमुख्यमंत्री का कार्यभार सरकार में रहते हुए देखा। उपमुख्यमंत्री के रूप में वे अपने अच्छे कामों कारण प्रशंसा में रहे।
 गोपीनाथ मुंडे को भारतीय जनता पार्टी की महाराष्ट्र इकाई का निर्विरोध अध्यक्ष चुना गया था। मुंडे की प्रतिभा को रेखांकित करने के बाद इन्हें भारतीय जनता पार्टी आलाक़मान ने दिल्ली बुला लिया। वे दिसम्बर 2009 में भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष चुने गए हैं। सन् 2009 में वे लोकसभा के सदस्य चुने गये। गोपीनाथ मुंडे बीड लोकसभा से प्रतिनिधित्व के रूप में पहली बार प्रारम्भ किया था। पहली बार मराठवाड़ा के बीड़ से लोकसभा सांसद बनने के फौरन बाद मुंडे को पहले लोकसभा में भारतीय जनता पार्टी के उपनेता पद प्रदान किया गया। हाल में उन्हें संसद की लोकलेखा समिति का अध्यक्ष मनोनीत किया गया था।
 मुंडे महाराष्ट्र की जमीनी राजनीति की गहरी समझ और पार्टी के 'ओबीसी चेहरा' थे। महाराष्ट्र से गोपीनाथ मुंडे को 29 जनवरी 2007 को महासचिव बनाया गया।
  वो पहले उपाध्यक्ष थे। लोकसभा में इससे पहले किसी पार्टी ने अपने नए सांसद को इतनी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी नहीं दी। गोपीनाथ मुंडे भारतीय जनता पार्टी-शिवसेना की गठबंधन सरकार में महाराष्ट्र के पूर्व उपमुख्यमंत्री और महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री बनाए गए और पांच साल तक पद पर रहे। 1990 के दशक के मध्य तक अंडरवर्ल्ड खुलकर सामने आ गया और उसने नागरिकों को निशाना बनाया। कोई मालदार पार्टी आयोजित करे या 30 लाख रु. की मर्सिडीज खरीदे, माफिया की तरफ से वसूली का फोन आ जाता था। दिनदहाड़े शूटआउट होना आम बात थी। 40,000 की संख्या वाली मुंबई पुलिस चुपचाप नजारा देखती और भारतीय जनता पार्टी-शिवसेना सरकार की विश्वसनीयता घट रही थी।
 तत्कालीन गृहमंत्री गोपीनाथ मुंडे ने गैंगस्टरों का सफाया करने के लिए पुलिस को एक तरह से असीमित अधिकार दे दिए।


भारतीय जनता पार्टी ने गोपीनाथ मुंडे को उनका गृह जिला बीड से चुनाव मैदान में उतारा था। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और महाराष्ट्र के पूर्व उपमुख्यमंत्री रहे गोपीनाथ मुंडे बीड महाराष्ट्र से लोकसभा के लिए प्रत्याशी हैं। वे जनसंघ के दिनों से ही पार्टी में सक्रिय रहे हैं और उन्होंने अपने संबंधी स्वर्गीय प्रमोद महाजन के साथ मिलकर राज्य में पार्टी का जनाधार मजबूत किया है। उन्होंने राज्य में भारतीय जनता पार्टी को काडर बेस्ट पार्टी से मास मूवमेंट में बदलने का काम किया है। 

गोपीनाथ मुंडे खुद एक कद्दावर और ताकतवर नेता थे, प्रमोद महाजन का करिश्मा या कहिए नाम का उनको सहारा था। आखिर महाराष्ट्र भारतीय जनता पार्टी में जिन्हें सबकुछ मुंडे के नाम से जाना जाता है। प्रमोद महाजन की हत्या के बाद महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी के पास गोपीनाथ मुंडे छोड़ दूसरा कोई बड़ा नेता नहीं बचा था। ऐसे में गोपीनाथ मुंडे को खुला मैदान मिला, लेकिन उनकी ढाल टूट चुकी थी। मुंडे पिछड़ी जाति से हैं और ओबीसी में उनका काफी वजन हैं। मुंडे राष्ट्रीय राजनीति में अपना रास्ता खोजने निकल पड़े। मुंडे राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बने लेकिन उनकी जड़ें महाराष्ट्र में ही रहीं। मुंडे जनाधार वाले नेता बीजेपी के पास नहीं हैं।

 मुंडे को आम कार्यकर्ताओं में काफी समर्थन था, जिसकी काट किसी के पास नहीं थी। खुद लोकसभा में चले गए, प्रमोद महाजन की बेटी को टिकट मिले इसलिए भी मुंडे को नाकों चने चबाने पड़े।
 भारतीय जनता पार्टी शिवसेना गठबंधन के शिल्पकार के तौर पर गोपीनाथ मुंडे-प्रमोद महाजन को जाना जाता हैं और इसी बात का फायदा उठाकर मुंडे फिर पार्टी पर दबाव बनाते रहे। गोपीनाथ मुंडे लोकसभा में उपनेता तो बनाया गया। मुंडे आज भी महाराष्ट्र भारतीय जनता पार्टी के एकछत्र नेता हैं। लेकिन महाराष्ट्र में मुंडे के वर्चस्व को कम नहीं आंका जा सकता। अपने करीबियों को टिकट दिलवाने की गलती मुंडे ने जरूर की, लेकिन इसका ये मतलब नहीं हैं कि मुंडे के पीछे जनाधार नहीं हैं। शिवसेना और बीजेपी गठबंधन को बरकरार रखने वाले लाल कृष्ण आडवाणी के बाद गोपीनाथ मुंडे आखिरी कड़ी थे। राज्य में बहुजन समाज का दूसरा बड़ा नेता भारतीय जनता पार्टी के पास नहीं था। अपने दम पर लोगों को चुनाव जितवाए ऐसा करिश्मा भी किसी नेता के पास नहीं था।

जेपीसी के गठन की मांग को लेकर विपक्ष के हंगामे के कारण प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने लोकसभा में बयान दे कर जेपीसी के गठन की प्रक्रिया शुरू करने की घोषणा की थी।

 जेपीसी में लोकसभा से भारतीय जनता पार्टी के गोपीनाथ मुंडे को सदस्य बनाया गया था।

लोकसभा में भारतीय जनता पार्टी के उपनेता गोपीनाथ मुंडे को संसद की लोक लेखा समिति (पीएसी) का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। सुषमा स्वराज को विपक्ष का नेता बनाए जाने के बाद हाल ही में उपनेता नियुक्त किए गए मुंडे 30 अप्रैल 2010 तक इस पद पर बने रहे।


भारतीय जनता पार्टी राष्ट्रीय अध्यक्ष ने बयान दिया था कि उनकी शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे से सीधे बात नहीं हो पाती। इस बयान से शिवसेना में भारी रोष था। यहां तक कि भारतीय जनता पार्टी शिवसेना में दरार की अटकलें भी लगाई जाने लगी। भारतीय जनता पार्टी-शिवसेना गठबंधन के रिश्तों में अभी भी ना-नुकर की स्थिति बनी हुई है। भारतीय जनता पार्टी नेता गोपीनाथ मुंडे ने शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे और संजय राउत से मुलाकात की। मुलाकात के बाद गोपीनाथ मुंडे ने दावा किया कि शिवसेना से उनके रिश्ते मजबूत हैं। इसी वजह से शनिवार को मातोश्री में भारतीय जनता पार्टी नेताओं की बाल ठाकरे के साथ बैठक हुई। जिसके बाद भारतीय जनता पार्टी नेता मुंडे ने भरोसा जताया कि शिवसेना का उनसे कोई मनमुटाव नहीं है। 



भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता गोपीनाथ मुंडे ने महाराष्ट्र राज्य में कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन को हराने के लिए महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) को साथ लेने का प्रस्ताव किया।

शिवसेना सूत्रों ने कहा कि ठाकरे इससे अवगत हैं कि कांग्रेस-राकांपा गठबंधन को सत्ता से हटाने के उद्देश्य से मुंडे ने शिवशक्ति-भीमशक्ति गठबंधन को अंतिम रूप देने में अहम भूमिका निभाई। भारतीय जनता पार्टी-शिवसेना और आरपीआई की संपन्न रैली की रणनीति तैयार करने वाली बैठक में मुंडे मुखर थे। रामदास आठवले को युति के साथ लाने में भी उनकी भूमिका रही है। महाराष्ट्र की राजनीति की दृष्टि से भीम और शिव शक्ति की एकता महत्वपूर्ण मानी जा रही है, खास तौर पर राष्ट्रीय स्तर पर चल रही उठापटक की पृष्ठभूमि और कांग्रेस की मौजूदा स्थिति में भारतीय जनता पार्टी-शिवसेना के लिए आज की रैली मायने रखती है।  गोपीनाथ मुंडे की भारतीय जनता पार्टी में ही रहने की घोषणा से सबसे ज्यादा राहत शिवसेना ने महसूस की है। अगर गोपीनाथ मुंडे भारतीय जनता पार्टी को राम-राम कर देते तो शिवसेना को भी झटका लगता। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) को बैलेंस करने के लिए शिवसेना ने शिवशक्ति-भीमशक्ति का जो समीकरण रचा है उसके शिल्पकारों में गोपीनाथ मुंडे ही प्रमुख रहे हैं। इस समीकरण का मुंबई के बीएमसी इलेक्शन के अलावा अगर कहीं सबसे ज्यादा असरकारक परिणाम मिल सकता है तो वो केवल विदर्भ और मराठवाडा ही है। मुंडे जिस मराठवाडा की राजनीति करके केंद्र की राजनीति में पहुंचे थे उस मराठवाडा में महाराष्ट्र की तकरीबन 25 फीसदी आबादी रहती है। इसमें से तकरीबन 15 फीसदी आबादी दलित और अनुसूचित जाति के लोगों की है। शिवशक्ति-भीमशक्ति के समीकरण की यह सबसे बड़ी प्रयोगशाला है। यही वजह थी कि गोपीनाथ मुंडे ने रामदास आठवले की ताकत को अपने साथ मिलाने के लिए मेहनत की और उसमें सफल भी हुए। ऐसे में अगर मुंडे भारतीय जनता पार्टी छोड़ देते तो शिवशक्ति-भीमशक्ति समीकरण की मराठवाडा में बेअसर होने की आशंका थी। जानकार लोगों का मानना है कि शिवसेना के साथ मिलकर मुंडे ने शिवशक्ति-भीमशक्ति का समीकरण बनाने के लिए मेहनत ही इस उद्देश्य से की थी कि इस बार मराठवाडा की ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतकर वो महाराष्ट्र भारतीय जनता पार्टी में अपने विरोधियों का मुंह बंद कर सकें।

 इस बार मुंडे सक्रिय हुए तो रामदास आठवले को पटा लाए। वर्ना महाराष्ट्र भारतीय जनता पार्टी में प्रभावी एक तबका तो ऐसा है जो शिवसेना से गठबंधन खत्म कर महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) से गठबंधन को प्राथमिकता देता है। मुंडे ने उसकी मंशा पर काबू किया था। 

भारतीय जनता पार्टी के नेता गोपीनाथ मुंडे के बड़े भाई पंडित अण्णा के दामाद मधुसुदन केंद्रे ने एनसीपी में जाने की तैयारी कर ली थी। मुंडे के करीब रहे केंद्रे ने गत विधानसभा चुनाव में गंगाखेड क्षेत्र से चुनाव लड़ा था। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता गोपीनाथ मुंडे के की घरेलू कलह का फायदा उठाने के लिए उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने मुंडे के भाई पंडित मुंडे के दामाद भाजपा नेता मधुसूदन केंद्रे को राष्ट्रवादी में प्रवेश देने का फैसला किया। 19 सितंबर को परभणी में आयोजित समारोह में केंद्रे का प्रवेश हुआ। एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार एनसीपी को राज्य की नंबर वन पार्टी बनाने के लिए सारे जोड़-तोड़ और जुगाड़ में लगे थे और इसके लिए वो विरोधियों की जड़ पर वार करते नजर आ रहे थे। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता गोपीनाथ मुंडे के परिवार में दरार डाली। उनके भाई-भतीजे को पार्टी में शामिल करके गोपीनाथ पर करारे वार करवाए। भारतीय जनता पार्टी के नेता एवं सांसद गोपीनाथ मुंडे के भाई अण्णा पंडित के बेटे-धनंजय मुंडे ने खुली बगावत कर दी। बीड़ जिले की परली नगरपालिका अध्यक्ष पद के लिए हो रहे चुनाव में धनंजय ने चाचा गोपीनाथ के उम्मीदवार के खिलाफ अपना बागी उम्मीदवार खड़ा किया।  गोपीनाथ मुंडे के गृह जिले बीड में एनसीपी के मंच पर उनके बड़े भाई पंडित अन्ना और भतीजे धनंजय मुंडे नजर आए। धनंजय बीजेपी के विधायक हैं लेकिन वो एनसीपी के मंच पर खड़े होकर अपने ही चाचा गोपीनाथ मुंडे के खिलाफ लड़ाई का ऐलान कर रहे थे। इसमें उनके पिता यानि मुंडे के बड़े भाई पंडित अन्ना भी खुलकर साथ दे रहे थे। गोपीनाथ मुंडे को एक और झटका में पंडित अन्ना घोषणा किए कि वह भारतीय जनता पार्टी छोड़कर एनसीपी पार्टी में शामिल हो गये। अपने ही चाचा के खिलाफ धनंजय परली की नगरमहापालिका चुनाव में भी बगावत का बिगुल फूंक चुके थे। वैसे गोपीनाथ मुंडे के घर में सेंध लगाने का श्रेय एसीपी नेता और महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री अजित पवार के सिर बंध रहा था। यही वजह है कि अब वो मुंडे को उन हमलों की याद दिला रहे थे जो उन्होंने उनके चाचा शरद पवार पर किए थे। उधर अपने बीमार छोटे भाई की तीमारदारी में लगे गोपीनाथ मुंडे को अब भी अपने गृहनगर की जनता का भरोसा था। उन्होंने कहा कि उतार-चढ़ाव तो आते रहते हैं। नेता के उतार-चढ़ाव का फैसला जनता करेगी। हर घटना को संयम से लेना मैंने सीखा है। 

 वरिष्ठ भाजपा नेता गोपीनाथ मुंडे ने कहा कि पार्टी अनुशासन का उल्लंघन करने वालों को अनुशासनात्मक कार्रवाई भुगतना होगा।
 अपने भतीजे धनंजय मुंडे की तरफ स्पष्ट तौर पर इशारा करते हुए वरिष्ठ भारतीय जनता पार्टी नेता गोपीनाथ मुंडे ने कहा कि पार्टी अनुशासन का उल्लंघन करने वालों को अनुशासनात्मक कार्रवाई भुगतना होगा। मुंडे ने औरंगाबाद में संवाददाताओं से कहा, ‘‘कोई भी पार्टी की विचारधारा के खिलाफ जाता है और बगावत का दोषी पाया जाता है तो उनके खिलाफ कार्रवाई आरंभ की जाएगी।’’ भारतीय जनता पार्टी के नेता गोपीनाथ मुंडे के बहुत करीबी मित्र एवं विधायक प्रकाश शेंडगे की नाराजगी को अध्यक्ष नितिन गडकरी के खेमे ने बहुत गंभीरता से नहीं लिया है। मुंडे की तरह शेंडगे ने भी पार्टी पर नाराज होने का ऐलान कर के पार्टी के पदों से इस्तीफा दे दिया था। शेंडगे ने पत्रकारों को बताया कि उन्होंने अभी भारतीय जनता पार्टी छोड़ने के बारे में निर्णय नहीं किया है। ओबीसी में धनगर समाज के शेंडगे के पिता शिवाजीराव कांग्रेस में थे। पर मुंडे से प्रभावित रहे प्रकाश ने भारतीय जनता पार्टी को पसंद किया।भारतीय जनता पार्टी के नेता गोपीनाथ मुंडे के साथ एक जमाने में भारतीय जनता पार्टी का पिछड़ा चेहरा रहे अण्णा डांगे को एनसीपी ने प्रदेश उपाध्यक्ष बनाने की घोषणा की है।
 याद रहे कि 1980 के दशक में वंजारी जाति के गोपीनाथ मुंडे, धनगर जाति के अण्णा डांगे, सूर्यभान वहाडणे और शिंपी (दर्जी) जाति के ना.स. फरांदे को एक साथ बीजेपी के 'बैकवर्ड फेस' के तौर पर प्रॉजेक्ट किया गया था। मुंडे को छोड़कर बाकी तीनों को 90 के दशक में पार्टी ने उपेक्षित कर दिया।
 इससे पहले, डांगे 18 वर्षों तक विधानपरिषद के सदस्य रहे और भारतीय जनता पार्टी-शिवसेना सरकार में मुंडे के साथ ग्राम विकास मंत्री रहे। उपेक्षा से नाराज डांगे ने 2006 में अपनी 'लोकराज्य पार्टी' बनाकर सांगली जिले से चुनाव भी लड़ा मगर हार गए। उसके बाद उन्होंने एनसीपी का दामन थामा। भारतीय जनता पार्टी के नेता गोपीनाथ मुंडे के निकट सपोर्टर एवं बीड़ जिले के गेवराई के पूर्व एमएलए अमरसिंह शिवाजीराव पंडित एनसीपी में शामिल हो गए। मुंडे के लिए यह एक और झटका था। बीड़ जिले में मुंडे को कमजोर करने की रणनीति के तहत एनसीपी ने मुंडे के बड़े भाई पंडित अण्णा और उनके बेटे - धनंजय को पार्टी में खींच लिया था। पर अण्णा जिला परिषद में हार गए। नगर परिषद के चुनाव के बाद अध्यक्ष के चुनाव में धनंजय ने मुंडे के उम्मीदवार को हराया है। भारतीय जनता पार्टी नेता सांसद गोपीनाथ मुंडे ने जनसभा में कहा कि खड़कवासला उपचुनाव में जीत हासिल कर पार्टी ने राज्य में दसमुखी रावण का दहन किया है। इशारों में उन्होंने कहा कि यह महंगाई, भ्रष्टाचार व सत्ता की मस्ती पर जीत है। सत्ता की मस्ती पर जीत का आशय किससे जुड़ा था, यह लगभग स्पष्ट था उन्होंने जोर देकर कहा कि राज्य की जनता आडवाणी जी के साथ है। मंच पर प्रमुख रूप से भाजपा नेता रविशंकर प्रसाद, अनंत कुमार, किरीट सोमैया, विधायक चंद्रशेखर बावनकुले आदि उपस्थित थे।
 भारतीय जनता पार्टी नेता व सांसद गोपीनाथ मुंडे ने कहा कि खड़कवासला उपचुनाव में मिली जीत भारतीय जनता पार्टी-सेना-रिपाई के महायुति की जीत है। उन्होंने उपमुख्यमंत्री अजित पवार से नैतिकता के आधार पर इस्तीफा देने की मांग की। मुंडे ने कहा था कि हिसार उपचुनाव में कांग्रेस की करारी हार हुई है और पूरे देश में कांग्रेस के खिलाफ अब यही माहौल है। 

भारतीय जनता पार्टी नेता गोपीनाथ मुंडे को मुंबई हवाई अड्डे पर राज्य पुलिस ने उस समय हिरासत में ले लिया जब वह हिंसा प्रभावित सांगली जिले में एक सभा को संबोधित करने जा रहे थे। डीसीपी बृजेश सिंह ने कहा कि मुंडे को साम्प्रदायिक हिंसा को ध्यान में रखते हुए मिरज जाने से रोक दिया गया और उनका बोर्डिन्ग पास जब्त कर लिया गया है। भारतीय जनता पार्टी सूत्रो ने कहा कि जिले में हालिया दंगों के सिलसिले में मुंडे मिरज में एक सभा को संबोधित करने वाले थे।

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